मुग़ल कला
मुग़ल कला भारत में मुग़ल साम्राज्य के समय की विशिष्ट कला शैली है, जो 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच फली-फूली। यह कला शैली भारतीय, फारसी, और इस्लामी परंपराओं के सम्मिश्रण से उत्पन्न हुई और भारतीय कला पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ा। मुग़ल शासकों ने कला और संस्कृति को बहुत महत्व दिया, और उनकी देखरेख में चित्रकला, वास्तुकला, और अन्य कलाओं ने अद्वितीय ऊंचाइयां हासिल कीं।
मुग़ल चित्रकला (Mughal Painting)
मुग़ल चित्रकला, मुग़ल साम्राज्य की सबसे प्रसिद्ध कला रूपों में से एक है। इस कला शैली में बारीक, रंगीन और जटिल चित्रण देखने को मिलता है, जो मुख्यतः राजदरबार, युद्ध, प्रेम, और धार्मिक विषयों पर आधारित होते थे। अकबर, जहांगीर, और शाहजहां के शासनकाल में मुग़ल चित्रकला का स्वर्णिम युग था। इस काल में चित्रकारों ने फारसी, भारतीय और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण करते हुए चित्रकला को नया आयाम दिया। प्रसिद्ध मुग़ल चित्रकारों में अब्दुस्समद, मीर सैय्यद अली, और मनोहर जैसे कलाकार शामिल थे, जिन्होंने अपने अनूठे योगदान से इस कला को समृद्ध किया।
मुग़ल वास्तुकला (Mughal Architecture)
मुग़ल वास्तुकला भारत की सबसे प्रतिष्ठित स्थापत्य शैलियों में से एक है। इसमें फारसी, तुर्की, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला की विशेषताओं का संयोजन देखने को मिलता है। ताजमहल, लाल किला, जामा मस्जिद, और फतेहपुर सीकरी जैसे भव्य इमारतें मुग़ल वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। मुग़ल इमारतों में संगमरमर का व्यापक उपयोग, जटिल नक़्क़ाशी, विस्तृत गुम्बद, और मिनारें प्रमुख विशेषताएँ हैं। ये इमारतें न केवल स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने हैं, बल्कि मुग़ल काल के सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
मुगल चित्रकला का विकास:
- बाबर के काल में मुगल चित्रकला-
- मुगल काल के चित्रों में बाबर के शासनकाल के दौरान कुछ भी विकास देखने को नहीं मिलता है, क्योंकि बाबर का शासन काल बहुत अल्पकालिक था।
- बिहजाद, बाबर के समय का महत्त्वपूर्ण चित्रकार था बिहजाद को ‘पूर्व का राफेल’ कहा जाता है।
- तैमूरी चित्रकला शैली को चरमोत्कर्ष पर ले जाने का श्रेय बिहजाद को जाता है।
- हुमायूँ काल में मुगल चित्रकला-
- हुमायूँ ने अफग़ानिस्तान के अपने निर्वासन के दौरान मुगल चित्रकला की नींव रखी। फारस में ही हुमायूँ की मुलाकात मीर सैय्यद अली एवं ख्वाज़ा अब्दुस्समद से हुई जिन्होंने मुगल चित्रकला का शुभारंभ किया।
- मीर सैय्यद अली हेरात के प्रसिद्ध चित्रकार बिहजाद का शिष्य था। मीर सैय्यद ने जो कृतियाँ तैयार की उसमें से कुछ जहाँगीर द्वारा तैयार की गई गुलशन चित्रावली में संकलित है।
- हुमायूँ ने इन दोनों को दास्ताने-अमीर-हम्ज़ा (हम्ज़ानामा) की चित्रकारी का कार्य सौंपा।
- हम्ज़ानामा मुगल चित्रशाला की प्रथम महत्त्वपूर्ण कृति है। यह पैगंबर के चाचा अमीर हम्ज़ा के वीरतापूर्ण कारनामों का चित्रणीय संग्रह है। इसमें कुल 1200 चित्रों का संग्रह है।
- मुल्ला अलाउद्दीन कजवीनी ने अपने ग्रंथ ‘नफाई-सुल-मासिरे में हम्ज़ानामा को हुमायूँ के मस्तिष्क की उपज बताया।
- अकबर के काल में मुगल चित्रकला-
- अकबर के समय के प्रमुख चित्रकार मीर सैय्यद अली, दसवंत, बसावन, ख्वाज़ा, अब्दुस्समद, मुकुंद आदि थे। आइने अकबरी में कुल 17 चित्रकारों का उल्लेख है।
- मुगल काल के चित्रों ने अकबर के शासन काल में विकास में बड़े पैमाने का अनुभव किया। चूँकि अकबर महाकाव्यों, कथाओं में रुचि रखता था इसलिए उसके काल के चित्र रामायण, महाभारत और फारसी महाकाव्य पर आधारित है।
- अकबर द्वारा शुरू की गई सबसे प्रारंभिक पेंटिंग परियोजनाओं में से तूतीनामा महत्त्वपूर्ण थी। यह 52 भागों में विभाजित थी।
- अकबर ने चित्रकार दसवंत को साम्राज्य का अग्रणी कलाकार घोषित किया था।
- अकबरकालीन चित्रकला में नीला, लाल, पीला, हरा, गुलाबी और सिंदूरी रंगों का इस्तेमाल हुआ। सुनहरे रंग का भी प्रचुरता से प्रयोग किया गया।
- इस काल में राजपूत चित्रकला का प्रभाव भी दिखाई देता है।
- जहाँगीर काल में चित्रकला-
- मुगल सम्राट जहाँगीर के समय में चित्रकारी अपने चरमोत्कर्ष पर थी। उसने ‘हेरात’ के ‘आगारज़ा’ नेतृत्त्व में आगरा में एक ‘चित्रशाला’ की स्थापना की।
- जहाँगीर ने हस्तलिखित ग्रंथों के विषयवस्तु को चित्रकारी करने की पद्धति को समाप्त किया और इसके स्थान पर छवि चित्रों,प्राकृतिक दृश्यों की पद्धति को अपनाया।
- जहाँगीर के समय के प्रमुख चित्रकारों में ‘फारुख बेग’, ‘दौलत’, ‘मनोहर’, ‘बिसनदास’, ‘मंसूर’ एवं अबुल हसन थे। ‘फारुख बेग’ ने बीजापुर के शासक सुल्तान ‘आदिल शाह’ का चित्र बनाया था।
- जहाँगीर चित्रकला का बड़ा कुशल पारखी था। जहाँगीर के समय को ‘चित्रकला का स्वर्ण काल’ कहा जाता है।
- मुगल शैली में मनुष्य को चित्र बनाते समय एक ही चित्र में विभिन्न चित्रकारों द्वारा मुख, शरीर तथा पैरों को चित्रित करने का रिवाज था। जहाँगीर का दावा था कि वह किसी चित्र में विभिन्न चित्रकारों के अलग-अलग योगदान को पहचान सकता है।
- शिकार, युद्ध और राज दरबार के दृश्यों को चित्रित करने के अलावा जहाँगीर के काल में मनुष्यों तथा जानवरों में चित्र बनाने की कला में विशेष प्रगति हुई। इस क्षेत्र में ‘मंसूर’ का नाम प्रसिद्ध था। मनुष्यों के चित्र बनाने का भी प्रचलन था।
- जहाँगीर के निर्देश पर चित्रकार चित्रकार ‘दौलत’ ने अपने साथ चित्रकार ‘बिसनदास’, ‘गोवर्धन’ एवं ‘अबुल हसन’ के चित्र एवं स्वयं अपना एक छवि चित्र बनवाया।
- सम्राट जहाँगीर ने अपने समय के अग्रणी चित्रकार बिसनदास को फारस के शाह, उसके अमीरों के तथा उसके परिजनों के यथारूप छवि- चित्र बनाकर लाने के लिए फारस भेजा था। जहाँगीर के विश्वसनीय चित्रकार ‘मनोहर’ ने उस समय में कई छवि चित्रों का निर्माण किया।
- जहाँगीर के समय में चित्रकारों ने सम्राट के दरबार, हाथी पर बैठकर धनुष-बाण के साथ शिकार का पीछा करना, जुलूस, युद्ध स्थल एवं प्राकृतिक दृश्य, फूल, पौधे, पशु-पक्षी, घोड़े, शेर, चीता आदि चित्रों को अपना विषय बनाया।
- ईरान के शाह अब्बास का स्वागत करते जहाँगीर, दर्जिन मेरी का चित्र पकड़े हुए जहाँगीर, मलिक अंबर के कटे सिर को लात मारते हुए जहाँगीर, आदि जहाँगीर कालीन प्रमुख चित्र थे।
- शाहजहाँ के काल में चित्रकला-
- शाहजहाँ के समय में आकृति-चित्रण और रंग सामंजस्य में कमी आ गई थी। उसके काल में रेखांकन और बॉर्डर बनाने की उन्नति हुई।
- शाहजहाँ को देवी प्रतीकों वाली अपनी तस्वीर बनाने का शौक था जैसे- उसके सिर के पीछे रोशनी का गोला।
- प्रमुख चित्रकार:- अनूप, मीर हासिम, मुहम्मद फकीर उल्ला, हुनर मुहम्मद नादिर, चिंतामणि।
- शाहजहाँ का एक विख्यात चित्र भारतीय संग्रहालय में उपलब्ध है, जिसमें शाहजहाँ को सूफी नृत्य करते हुए दिखाया गया है।
- इस काल के चित्रों के विशेष विषयों में यवन सुंदरियाँ, रंग महल, विलासी जीवन और ईसाई धर्म शामिल हुए। स्याह कलम चित्र बने, जिन्हें कागज की फिटकरी और सरेस आदि के मिश्रण से तैयार किया जाता था। इनकी खासियत बारीकियों का चित्रण था जैसे- दाढ़ी का एक-एक बाल दिखाना, रंगों को हल्की घुलन के साथ लगाना।
- शाहजहाँ के जो भी चित्र बने उन सब में प्रायः उसे सर्वोत्तम वस्त्र और आभूषण धारण किए चित्रित किया गया।
- इस दौर के एकल छवि चित्रों में यह विशेषता देखने में आती है कि गहराई और संपूर्ण दृश्य विधान प्रकट करने के लिये चित्रों की पृष्ठभूमि में दूर दिखाई देने वाला धुंधला नगर दृश्य हल्के रंगों में चित्रित किया गया।
- गुलिस्ताँ तथा सादी का बुस्तान, दरबारियों के बीच ऊँचे आसन पर विराजमान शाहजहाँ, पिता जहाँगीर और दादा अकबर की संगति में शाहजहाँ, जिसमें अकबर ताज शाहजहाँ को सौंप रहा है आदि शाहजहाँ कालीन प्रमुख चित्र है।
- औरंगजेब कालीन चित्रकला
- औरंगजेब ने चित्रकला को इस्लाम के विरुद्ध मानकर बंद करवा दिया था। किंतु उसके शासन काल के अंतिम वर्षों में उसने चित्रकारी में कुछ रूचि ली जिसके परिणाम स्वरूप उसके कुछ लघु चित्र शिकार खेलते हुए, दरबार लगाते हुए तथा युद्ध करते हुए प्राप्त होते हैं।
- औरंगजेब के के बाद चित्रकार अन्यत्र जाकर बस गए जहाँ अनेक क्षेत्रीय चित्रकला शैलियों का विकास हुआ।
- मनूची ने लिखा है कि “औरंगजेब की आज्ञा से अकबर के मकबरे वाले चित्रों को चूने से पोत दिया गया था।
मुग़ल कला में उपयोग की जाने वाली तकनीकें (Techniques Used in Mughal Art)
मुग़ल कला में उपयोग की जाने वाली तकनीकें अत्यंत परिष्कृत और जटिल थीं। चित्रकला में ‘मिनीएचर पेंटिंग’ की तकनीक का उपयोग होता था, जिसमें बेहद बारीक ब्रशों का इस्तेमाल किया जाता था। रंगों के लिए प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंगद्रव्य का उपयोग किया जाता था, जिसमें नीला रंग लैपिस लाजुली से, लाल रंग गेरू से और पीला रंग हल्दी से प्राप्त किया जाता था। मुग़ल वास्तुकला में संगमरमर की जड़ाई, पत्थरों पर बारीक नक़्क़ाशी और रंगीन कांच का उपयोग प्रमुखता से होता था। इन तकनीकों ने मुग़ल कला को एक विशिष्ट पहचान दी।
मुग़ल कला पर प्रभाव (Influence on Mughal Art)
मुग़ल कला पर विभिन्न संस्कृतियों का गहरा प्रभाव पड़ा। फारसी कला की जटिलता, इस्लामी कला की ज्यामितीयता, और भारतीय कला की जीवंतता का अद्भुत मिश्रण मुग़ल कला में देखने को मिलता है। इस कला में प्राकृतिक दृश्य, पशु-पक्षी, धार्मिक कथा चित्रण, और दरबारी जीवन का चित्रण प्रमुखता से किया गया। मुग़ल कला ने भारतीय कला पर भी गहरा प्रभाव डाला, जिससे बाद में राजपूत और पहाड़ी चित्रकला शैलियों का विकास हुआ।
मुग़ल कला की विशेषताएँ (Characteristics of Mughal Art)
मुग़ल कला की विशेषताएँ इसे अन्य कला शैलियों से अलग करती हैं। चित्रकला में बारीकी से किया गया काम, भावनात्मक अभिव्यक्ति, और रंगों का गहन उपयोग इसे विशेष बनाता है। मुग़ल वास्तुकला में संतुलित संरचना, भव्यता, और जटिल सजावट देखने को मिलती है। इन कलाओं में फारसी और इस्लामी कला का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, फिर भी उन्होंने भारतीय कला से भी अपना खास रिश्ता बनाए रखा।
मुग़ल कला का आधुनिक काल पर प्रभाव (Mughal Art’s Impact on Modern Times)
मुग़ल कला का प्रभाव आधुनिक कला और वास्तुकला में भी देखा जा सकता है। आधुनिक चित्रकार और वास्तुकार मुग़ल काल की तकनीकों और शैलियों से प्रेरणा लेते हैं। भारत में आज भी कई इमारतें और सजावटी कला मुग़ल शैली का अनुसरण करती हैं। ताजमहल जैसी इमारतें आज भी वास्तुकला की अद्वितीयता का प्रतीक हैं और आधुनिक डिज़ाइनरों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
मुग़ल कला भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है। इसकी चित्रकला, वास्तुकला, और अन्य कला रूपों ने न केवल अपने समय में बल्कि आज भी लोगों को प्रभावित किया है। मुग़ल काल की कला और स्थापत्य ने भारतीय कला को एक नया दिशा दी, जिससे बाद के समय में भी कला के विभिन्न रूप विकसित हो सके। यह कला शैली न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति में इसका स्थान अद्वितीय है।
FAQs
1. मुग़ल कला क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?
मुग़ल कला भारत में 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच विकसित एक कला शैली है, जो मुग़ल साम्राज्य के शासकों के संरक्षण में फली-फूली। यह कला फारसी, इस्लामी, और भारतीय कला शैलियों के संगम से उत्पन्न हुई और इसमें चित्रकला, वास्तुकला, और शिल्पकला शामिल हैं।
2. मुग़ल चित्रकला की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
मुग़ल चित्रकला की प्रमुख विशेषताएँ बारीक चित्रण, जटिल रंग संयोजन, और विषयों में दरबारी जीवन, ऐतिहासिक घटनाएँ, और धार्मिक कथाओं का चित्रण हैं। इसमें फारसी और भारतीय शैलियों का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है।
3. मुग़ल वास्तुकला के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण कौन से हैं?
ताजमहल, आगरा का किला, लाल किला, फतेहपुर सीकरी, और जामा मस्जिद मुग़ल वास्तुकला के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। ये इमारतें अपनी भव्यता, जटिल नक्काशी, और संगमरमर की जड़ाई के लिए प्रसिद्ध हैं।
4. मुग़ल कला पर किस संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा?
मुग़ल कला पर फारसी संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, साथ ही भारतीय और इस्लामी कला शैलियों का भी मिश्रण इसमें देखा जा सकता है। मुग़ल शासक विशेष रूप से फारसी कला और साहित्य से प्रेरित थे, जिसका प्रभाव उनकी कला और स्थापत्य में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
5. मुग़ल काल की कला ने भारतीय समाज पर क्या प्रभाव डाला?
मुग़ल कला ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला, विशेषकर चित्रकला और वास्तुकला के क्षेत्र में। इससे भारतीय स्थापत्य शैलियों में नयी तकनीकें और डिज़ाइन आयाम जुड़े। मुग़ल काल की कला और स्थापत्य ने बाद की भारतीय कला शैलियों, जैसे कि राजपूत और पहाड़ी चित्रकला, को भी प्रभावित किया।
6. मुग़ल शासकों में किसने कला और संस्कृति को सबसे अधिक प्रोत्साहित किया?
अकबर, जहांगीर, और शाहजहाँ मुग़ल शासकों में कला और संस्कृति के सबसे बड़े संरक्षक थे। अकबर ने कलाकारों और शिल्पियों को संरक्षण दिया और मुग़ल चित्रकला की नींव रखी, जबकि जहांगीर ने चित्रकला को और भी निखारा। शाहजहाँ ने वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे अधिक योगदान दिया, जिसमें ताजमहल जैसे अद्वितीय स्मारक शामिल हैं।
7. मुग़ल कला का आधुनिक कला पर क्या प्रभाव है?
मुग़ल कला का प्रभाव आज भी आधुनिक कला और डिज़ाइन में देखा जा सकता है। आधुनिक वास्तुकार और चित्रकार मुग़ल काल की जटिल तकनीकों, रंग संयोजन और डिजाइन से प्रेरणा लेते हैं। विशेष रूप से भारतीय सजावटी कला और वास्तुकला में मुग़ल शैली का प्रभाव स्पष्ट है।